Saturday, October 22, 2011

अगर आसपास कँही तुम जो होते!

अगर आसपास कँही तुम जो होते,
किसी पेड़ के निचे हम बैठे होते,

छेड़ जाती मस्त पवन ये जो तुमको,
तुम आके मेरी बाजुओं में लिपटते,

कुछ अरमान दिल में तुम्हारे मचलते,
अधुरे मेरे ख्वाब कुछ पुरे होते,

ओढ़के ओढ़नी धरती दुल्हन बनी है,
चुनर ओढ़के थोड़े तुम शरमाते,

झूमती है फ़सल आज लहेराके ऐसे,
संग पंछियों के प्यार के गीत गाते,

फूल खिले है गुलशन में इतने,
कुछ तेरी झुल्फों में भी हम सजाते,


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