बस कुछ दिन हुए, तुम गए परदेश,
और तेरी चिठ्ठी आई है,
हमें तो हर पल होता था अहेसास,
शायद तेरी चिठ्ठी आई है,
तुम क्या गए शहर से, हर तरफ
अजीबसी ख़ामोशी छाई है,
जीवन के अंधेरो में गुम हो गई,
यक़ीनन तू मेरी पड़छाई है,
चुभने लगी है जो साँसों में,
ये कैसी चली पुरवाई है,
उजाड़ गई दिल की बस्ती को,
आज ऐसी बारिश आई है,
मेरे मन के आँगन याद तेरी,
बीते लम्हों की बारात लाइ है,
कुछ देर पहेले ही तो सूखी थी !,
फिर वह आँख भर आई है.................तेरी चिठ्ठी आई है
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